क्रिया क्या है, क्रिया के कितने भेद होते है, क्रिया के विकारी तत्व, क्रिया के प्रयोग

हाय गाइस,

                गाइस इस आर्टिकल में हम आपको हिंदी ग्रामर के 'क्रिया' टॉपिक के बारे मे बतायेंगे। इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि क्रिया क्या है, क्रिया के भेद कितने होते हैं तथा क्रिया के रूप, प्रयोग आदि। आशा करते हैं कि ये आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होंगे।


क्रिया का अर्थ


क्रिया

क्रिया किसे कहते हैं? 
जिस शब्द से किसी कार्य के करने या होने का ज्ञान हो , उसी को क्रिया कहते हैं, उदाहरण के लिए जैसे - 
सोना, उठाना, तोड़ना, भेजना आदि।

क्रिया क्रिया एक विकारी शब्द है, क्रिया के रूप लिंग, वचन, तथा पुरुष के अनुसार बदलते हैं।
क्रिया के मूल रूप धातु कहे जाते हैं। क्रिया का बोधमूल धातु में ' ना '
जोड़कर कराया जाता है, उदाहरण के लिए जैसे -
मिल + ना =मिलना, तोड़ + ना = तोड़ना, उठ + ना = उठना आदि।

क्रिया के कितने भेद होते हैं?

क्रिया के भेदों का वर्गीकरण ' क्रम के आधार पर ' तथा ' व्युत्पत्ति के आधार ' किया गया है।

I. कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं -
1.सकर्मक क्रिया 
2.अकर्मक क्रिया

II. व्युत्पत्ति के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं - 
1. मूल क्रिया
2. यौगिक क्रिया

यौगिक क्रियाओं के चार भेद होते हैं -
क.संयुक्त क्रिया
ख.नामधातु क्रिया
ग.प्रेरणार्थक क्रिया
घ.पूर्वकालिक क्रिया

1.सकर्मक क्रिया:- वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का फल जब कर्ता के अतिरिक्त कर्म पर पड़े तो सकर्मक क्रिया बनती है। उदाहरण के लिए जैसे - दिनेश पुस्तक लिखता है।, संगीता फल तोड़ती है।
उपरोक्त वाक्यों में ' लिखना ' क्रिया का परिणाम ' पुस्तक ' कर्म पर पड़ता है और ' तोड़ना ' क्रिया का परिणाम ' फल ' कर्म पर पड़ता हैं।अतः ये सकर्मक क्रिया हैं।

2.अकर्मक क्रिया:- जिस क्रिया का परिणाम कर्ता पर पड़ता है उसे अकर्मक क्रिया कहते है, उदाहरण के लिए जैसे - 
रणजीत रोता है। सरिता हँसती है।
उपरोक्त वाक्यों में ' रोना ' क्रिया का परिणाम ' हँसती ' कर्ता पर पड़ता है और ' रणजीत ' क्रिया का परिणाम ' सरिता ' कर्ता पर पड़ता हैं।अतः ये अकर्मक क्रिया हैं।


1. मूल क्रिया :- मूल क्रिया वे धातु हैं, जो किसी दूसरे शब्द से न बने हों, उदाहरण के लिए जैसे - कहना, करना आदि।



2. यौगिक क्रिया :- जो क्रिया या धातु किन्हीं अन्य शब्दों के जोड़ या योग से बनती हैं उसे यौगिक क्रियाऐं कहते हैं, उदाहरण के लिए जैसे -
' पढ़ना और रहा ' से ' पढ़ता रहा ' , ' खाना ' से ' खिलाना ' आदि।

यौगिक क्रियाओ के निम्नलिखित चार भेद होते हैं - 
क.संयुक्त क्रिया:- जब दो या दो से अधिक क्रियाएँ मिलकर किसी पूर्ण क्रिया को बनाती है तो उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं। संयुक्त क्रिया में एक मुख्य क्रिया तथा एक गौण क्रिया का योग रहता है, उदाहरण के लिए जैसे - उसकी बात सुन लो। काम करते जाओ।
उपरोक्त में सुन और लो क्रियाओं के जोड़ से ' सुन लो ' क्रिया बनती हैं।
करते और जाओ क्रियाओं के जोड़ से ' करते जाओ ' क्रिया बनती हैं।


ख.नामधातु क्रिया:- जो क्रियाएँ संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण शब्दों से बनती हैं, उसे नामधातु क्रियाएँ कहते हैं, उदाहरण के लिए जैसे शर्म से शरमाना, लाठी से लठियाना।

ग.प्रेरणार्थक क्रिया:- जब कर्ता स्वंय कर्म न करके किसी दूसरे से करवाये, तब उसे प्रेरणात्मक क्रिया है, उदाहरण के लिए जैसे-
 रोहित ने सोहन से बाल कटवाये।
 संजय से श्याम से पत्र पढताया।

घ.पूर्वकालिक क्रिया:- जब वाक्य में एक क्रिया समाप्त हो जाने के बाद दूसरी क्रिया होती है, तब समाप्त होने वाली पहली क्रिया पूर्वकालिक क्रिया होती हैं, उदाहरण के लिए जैसे -
वह पढ़कर चला गया। 
वह खाना खाकर सो गया। 
उपरोक्त वाक्यो में खाकर और पढ़कर पूर्वकालिक क्रियाएँ हैं। क्रियाएँ पूर्वकालिक रूप बनाते समय मूल धातु के साथ कर या करके के मेल से बनाया जाता है। जैसे - भागकर, जाकर आदि।
 

क्रिया के विकारी तत्व

क्रियाओं को जब वाक्यों में प्रयुक्त किया जाता है, तब लिंग, वचन, पुरूष, वाच्य, प्रकार तथा प्रयोग के कारण उनमें अंतर आ जाता है, जैसे- 
वाक्य लिंग के आधार पर - राकेश पढ़ता है।, रीता खेलती है।

वाक्य पुरूष के आधार पर - हम पढ़ते हैं।, तुम लिखते हो।

वाक्य वचन के आधार पर - वह लिखता है।, वे जाते हैं।

वाक्य वाच्य के आधार पर - मैं लिखता हूँ।

वाक्य काल के आधार पर - उसने लिखा।, राम पढ़ता है।

वाक्य में लिंग, पुरुष, वचन

लिंग:- वाक्य में कर्ता के लिंग के अनुसार क्रिया का प्रयोग होता है। यदि कर्ता पुल्लिंग है तो क्रिया भी पुल्लिंग के रूप में प्रयुक्त होगी और स्त्रीलिंग होने पर क्रिया भी स्त्रीलिंग में मिलेंगी। जैसे- 
रोहन लिखता है।, सरिता पढ़ती है।

पुरुष:- ' सर्वनाम ' पर विचार करते समय हम देख चुके हैं कि पुरूष तीन होते हैं। प्रथम पुरूष (मैं, हम), मध्यम पुरुष (तू, तुम) और अन्य
पुरूष (वह, वे)।

तीनो पुरुषों के आधार पर क्रिया में परिवर्तन
                        एकवचन                बहुवचन
प्रथम/उत्तम    मैं लिखता हूँ।          हम लिखते है।
मध्यम            तू लिखता है।         तुम लिखते हो।
अन्य             वह लिखता है।         वे लिखते हैं।

वचन:- क्रिया में वचन दो प्रकार के होते हैं- एकवचन, बहुवचन
क्रिया में वचन कर्ता के अनुसार प्रयोग में लिया जाता है।
कभी कभी क्रिया बहुवचन में प्रयुक्त होती है, जबकि कर्ता कर्ता एकवचन का ही रहता है। ऐसी स्थिति में क्रिया के वचन के आधार पर कर्ता का एकवचन होना या बहुवचन होना निश्चित किया जाता है, उदाहरण के लिए जैसे :-
घोड़ा दौड़ता है।
बन्दर खाता है।
घोड़े दौड़ते है।
बन्दर खाते हैं।

क्रिया का प्रयोग कितने प्रकार से किया जाता है?

जब वाक्य में क्रिया के पुरूष, लिंग, वचन, कभी तो कर्ता के अनुसार होते हैं, कभी कर्म के अनुसार तथा कभी इन दोनों में से किसी के अनुसार भी नहीं होते है।
क्रिया का तीन प्रकार से प्रयोग किया जाता है -
क. कर्त्तरि का प्रयोग - जब क्रिया के पुरूष, लिंग, वचन, कर्ता के अनुसार होते हैं, तो क्रिया के उस प्रयोग को कर्त्तरी कहते हैं -
श्याम पत्र लिखता है।  गीता फल तोड़ती है।

ख. कर्मणि का प्रयोग - जब क्रिया के पुरूष, वचन, कर्म के अनुसार होते हैं, तो क्रिया के उस प्रयोग को कर्मणि कहते हैं - 
राजेश ने पुस्तक पढ़ी।     संगीता ने पत्र लिखा।

ग. भावे का प्रयोग - जब क्रिया के पुरूष, लिंग, वचन  कर्ता अथवा कर्म के अनुसार नहीं होते हैं और सदा अन्य पुरुष, पुल्लिंग और एकवचन में होती है तो क्रिया के इस प्रयोग को भावे का प्रयोग कहते हैं, उदाहरण के लिए जैसे - 
राकेश से लिखा नहीं जा सकता। संगीता से पढ़ा नहीं जाता।


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