Hi guys,
Guy आज हम आपके लिये एक नया आर्टिकल लेकर आये हैं। आज का हमारा आर्टिकल थोड़ा सा आपको अलग लगेगा और साथ मैं मज़ेदार भी लगेगा। आज हम आपके लिये 'शब्द विचार' हिंदी ग्रामर के टॉपिक को लेकर आये हैं। आज हम'शब्द विचार' टॉपिक के बेसिक्स रूल्स(basics rules) के बारे में पढ़ेंगे।
आशा करते हैं कि ये आपको जरूर पसंद आएंगे ।
शब्द क्या है?
शब्द का अर्थ :-
आपस में बात करने अथवा विचार व्यक्त करने के लिए 'शब्दों' की आवश्यकता होती है। ध्वनियों का स्वतंत्र रूप से कोई अर्थ नहीं होता है। जब दो या दो से अधिक वर्ण आपस में मिलकर सार्थक शब्द बनाते हैं, तब उनका महत्व होता है,
जैसे-
क+ अ+ ल+ अ = कल
र+ आ+ क+ ए+ श+ अ = राकेश
उपर्युक्त शब्द स्वर एवं व्यंजन वर्णों के मेल से बने हैं। ये शब्द स्वतंत्र रूप से अपना-अपना अर्थ रखते हैं। यही शब्द जब वाक्य में प्रयुक्त होते हैं तो वे 'पद' कहलाते हैं।
शब्दों के प्रकार
शब्द सामान्य रूप से दो प्रकार के होते हैं :-
1. सार्थक शब्द
2. निरर्थक शब्द
1. सार्थक शब्द- जिन शब्दों का कुछ निश्चित अर्थ होता है, वे सार्थक/अर्थपूर्ण शब्द कहलाते हैं, जैसे - नदी , लड़का आदि।
भाषा के अंतर्गत सार्थक शब्दों का ही अध्ययन किया जाता है।
2. निरर्थक शब्द- जिन शब्दों का कोई निश्चित अर्थ नहीं होता, वे निरर्थक शब्द कहलाते हैं। निरर्थक शब्दों का प्रयोग प्रायः बोल-चाल की भाषा में किया जाता है, जैसे- चाय-वाय, बोल-चाल आदि में 'चाल' तथा 'वाय' निरर्थक शब्द हैं।
शब्दों के भेद
शब्दों के भेद निम्नलिखित आधार पर किए जा सकते हैं:-
(क) व्युत्पत्ति के आधार पर
(ख) उत्पत्ति के आधार पर
(ग) प्रयोग के आधार पर
( क) व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद
व्युत्पत्ति के आधार पर तीन प्रकार के शब्द होते हैं -
1. रूढ़ शब्द :- जो शब्द किन्हीं अन्य शब्दों के योग से नहीं बनते तथा खंड कर देने पर निरर्थक हो जाते हैं। वे रूढ़ शब्द कहलाते हैं।
ये शब्द किसी विशेष वस्तु के लिए प्रसिद्ध हो गए होते हैं, जैसे - हरा, नीला, पानी, माता, नाक , कान, आँख आदि।
2. यौगिक शब्द :- जो शब्द अन्य शब्दों के मेल से बनते हैं, वे यौगिक शब्द कहलाते हैं। इस प्रकार के शब्द संधि, समास, उपसर्ग, प्रत्यय आदि से बनते हैं। इनके खंड करने पर भी अर्थ निकलता है, जैसे- चायवाला = चाय + वाला , नीलापन = नीला + पन आदि।
3. योगरूढ़ शब्द :- ऐसे 'यौगिक' शब्द जो सामान्य अर्थ को प्रकट न करके किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं, योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं, जैसे- पंक+ ज का अर्थ है- कीचड़ में जन्मा, परन्तु 'पंकज' शब्द केवल 'कमल' के लिए रूढ़ हो गया है।
(ख) उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद
हिंदी भाषा में उत्पत्ति के आधार पर चार प्रकार के शब्द पाए जाते हैं -
1. तत्सम शब्द :- संस्कृत भाषा हिन्दी भाषा की जननी है।
संस्कृत भाषा के वे शब्द जो बिना किसी परिवर्तन के हिंदी भाषा में प्रयुक्त होते हैं, तत्सम शब्द कहलाते हैं, जैसे - अमूल्य, अगम्य आदि।
2. तदभव शब्द :- संस्कृत भाषा से हिन्दी भाषा में आते-आते जिन शब्दों में थोड़ा- बहुत अंतर आ जाता है, वे तदभव शब्द कहलाते हैं, जैसे- अगम, अमोल आदि।
3. देशज शब्द :- जो शब्द विभिन्न क्षेत्रों के ग्रामीण जन समुदाय द्वारा निर्मित होकर हिन्दी की बोलियों के माध्यम से हिन्दी भाषा में आए हैं, वे देशज शब्द कहलाते हैं। इन्हें क्षेत्रीय शब्द भी कहा जा सकता है, जैसे- चाचा, कपास, चुटिया, धक्का आदि।
4. विदेशी शब्द :- जो शब्द विदेशी भाषाओं- अंग्रेजी, अरबी, फ़ारसी, तुर्की, चीनी, पुर्तगाली आदि से हिन्दी भाषा में आ गए हैं तथा हिंदी भाषा ने थोड़े- बहुत परिवर्तन के साथ जिन्हें अपना लिया है, वे विदेशी शब्द कहलाते हैं, जैसे- आईना, चाकू, ईमान, स्कूल आदि।
(ग) प्रयोग के आधार पर शब्द-भेद
वाक्यों में प्रयोग के आधार पर शब्द दो होते हैं-
(1) विकारी शब्द :- जिन शब्दों में लिंग, वचन, कारक, काल आदि के कारण परिवर्तन आ जाता है वे विकारी शब्द कहलाते हैं।
संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण विकारी शब्द हैं। इनमें प्रयोग के आधार पर परिवर्तन आ जाता हैं, जैसे -
संज्ञा - लड़का लड़के, लड़को, लड़की
सर्वनाम - तुम तुम्हारा, तुम्हारे, तुम्हारी
क्रिया - जाता है जायेगा, जायेंगे, गये
विशेषण - कला काले, काली
(2) अविकारी शब्द :- जिन शब्दों में लिंग, वचन, कारक, काल आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता तथा एक ही रूप में प्रयुक्त होते हैं, वे अविकारी शब्द कहलाते हैं। इन्हें अव्यय भी कहते हैं। क्रिया-विशेषण,
संबंध-बोधक, समुच्चय-बोधक, विस्मयादिबोधक शब्द अविकारी शब्द हैं, जैसे- जल्दी, धीरे, किन्तु आदि।
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