विशेषण की परिभाषा, विशेषण के कितने भेद होते हैं, विशेषण की रचनायें, विशेषण की तुलनायें

 वेलकम फ़्रेंड्स,

                      फ़्रेंड्स इस पोस्ट में हम आपको हिंदी ग्रामर के विशेषण टॉपिक के बारे में बताने वाले हैं। इस टॉपिक में विशेषण की परिभाषा, विशेषण के भेद, विशेषण, विशेषण की रचना, विशेषण का तुलनात्मक अध्ययन तथा विशेष्य एवं विशेषण के बारे पूरी जानकारी दी जायेगी। आशा करते है कि ये आपको जरूर पसंद आयेगी।


अनिश्चितत संख्यात्मक विशेषण, निश्चित संख्यात्मक विशेषण


विशेषण

विशेषण का अर्थ:- जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम कि विशेषता या विशेष लक्षण बताते हो, उसे विशेषण कहते हैं।

विशेषण की परिभाषा:- विशेषण प्राय: कर विशेष्य के पहले लगाया जाता है। जो विशेषण विशेष्य के सबसे पहले आए, वह विशेष्य- विशेषण कहलाता है। परंतु कभी-कभी विशेष्यके बाद भी विशेषण का प्रयोग होता है। जो विशेषण विशेष्य के बाद और क्रिया के बीच में आए, वह विधेय- विशेषण कहलाता है।  उदाहरण के लिए जैसे- 
सफेद गाय चरती है।
आम मीठा है।

विशेषण के कितने भेद होते हैं-

विशेषण में चार प्रकार के भेद होते हैं -

1.गुणवाचक विशेषण।
2.संख्यात्मक विशेषण।
संख्यात्मक विशेषण दो प्रकार के होते हैं-
I. निश्चित संख्यात्मक 
II.अनिश्चित संख्यात्मक।
3.परिमाणात्मक विशेषण
 परिमाणात्मक विशेषण दो प्रकार के होते हैं-
I.निश्चित परिमाणात्मक
II.अनिश्चित परिमाणात्मक।
4.सर्वनामिक विशेषण।

1.गुणवाचक विशेषण:- जिन शब्दों से संज्ञा के गुण, दोष, दशा, स्वभाव, रंग, अवस्था, आकार, आदि का ज्ञान होता हो तो उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं, उदाहरण के लिए जैसे- 
मोहन अच्छा लड़का है।
वह बुरा व्यक्ति है।
यह पेड़ सूखा है।
मेरे पास नीली स्वेटर है।

गुणवाचक विशेषण के उदाहरण:-

विशेषता/गुण - शिष्ट, प्रबुद्ध, नम्र, विनम्र, सभ्य, अच्छा,सरल, आदि।

स्वाद -     तीखा, खट्टा, मीठा, नमकीन आदि।

आयु-       शैशव, बाल, किशोर, वृद्ध आदि।

देश -        ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, भारत, श्रीलंका आदि।

रचना/आकार - चपटा, त्रिभुजाकार, गोल आदि।

दिशा -       पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण आदि।

रंग -         भूरा, पिला, नीला, कला, सफेद, लाल आदि।

स्थिति/दशा - सुखी, गिला, मोटा, स्वस्थ आदि।

अवधि/काल  - पिछला, आगामी, नया, प्राचीन, मौसमी आदि।

स्पर्श -          नर्म, गर्म, ठंडा, खुरदरा, कोमल, कठोर आदि।

अवगुण/दोष - दुष्ट, अनैतिक, छल, कपट, असभ्य आदि।


2.संख्यात्मक विशेषण:- जिन शब्दों द्वारा संज्ञा या सर्वनाम की संख्या की विशेषता बताई जाती है, उसे संख्यात्मक विशेषण कहते है, उदाहरण के लिए जैसे:-
दस अमरूद।
पांचवीं मंजिल।
सब लड़कियां।

संख्यात्मक विशेषण के भेद-(दो)

I. निश्चित संख्यात्मक विशेषण:- इस विशेषण से व्यक्ति या वस्तु की निश्चित संख्या का ज्ञान होता है। इसलिए इनका भी कुछ भागों में विभाजन किया जाता है- 

क.गणनावाचक - दो, चार, सात, आठ आदि।

ख.कर्मवाचक - दूसरा, तीसरा, चौथा, आठवां आदि।

ग.आवृतिवाचक - तिगुना, चौगुना, हजारगुना आदि।

घ.समुदायवाचक - तीनों, चारों, पांचों, बीसों आदि।

ड़.प्रत्येकसूचक -  एक-एक, दो-दो आधा-आधा आदि।


II.अनिश्चित संख्यात्मक विशेषण:- जिन संख्यावाचक विशेषण शब्दों में निश्चित संख्या का ज्ञान नहीं होता हैं, उसे अनिश्चित संख्यात्मक विशेषण कहते हैं। जैसे-
कुछ व्यक्ति।
थोड़ो से फूल।

3.परिमाणात्मक विशेषण:- जो विशेषण किसी वस्तु की माप अथवा तौल से सम्बंधित विशेषता बताते हैं। उसे परिमाणात्मक विशेषण कहते हैं।

परिमाणात्मक विशेषण के भेद-(दो)
I.निश्चित परिमाणात्मक विशेषण:- इस विशेषण में निश्चित माप अथवा तौल का ज्ञान होता है, उसे निश्चित परिमाणात्मक विशेषण कहते हैं, जैसे- 
एक लीटर दूध।
एक मीटर कपड़ा।
दस किलोमीटर दूरी।

II.अनिश्चित परिमाणात्मक विशेषण:- इस विशेषण में निश्चित माप अथवा तौल का ज्ञान नही होता है, उसे अनिश्चित परिमाणात्मक विशेषण है, जैसे- 
थोड़ा दूध।
कुछ नमकीन।
बीस-पच्चीस लीटर पानी।

4.सार्वनामिक विशेषण:- जो सर्वनाम शब्द संज्ञा से पहले आते हैं,(पुरुषवाचक औऱ निजवाचक सर्वनाम को छोड़कर) उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं, उदाहरण के लिए जैसे - 
वह किताब अच्छी है।
यह कुत्ता अच्छा है।
वे आदमी, ये खिलाड़ी।

विशेष्य:-जिस शब्द की विशेषता बतायी जाए, उसे विशेष्य कहते हैं, उदाहरण के लिए जैसे - भूरा घोड़ा, चौड़ा आदमी आदि।

प्रविशेषण:-जिस शब्द विशेषण शब्दों की विशेषण की विशेषता बताते हैं, उसे प्रविशेषण कहते हैं, उदाहरण के लिए जैसे - रितिका बहुत सुंदर लड़की हैं।

इसमे ' सुंदर ' शब्द विशेषण हैं और ' बहुत ' शब्द विशेषण शब्दों की विशेषता बताते हैं। इसे ही प्रविशेषण कहते हैं।

विशेषण शब्दों का आकार/रचना:-

मूल विशेषण:- कुछ शब्द मूल रूप में ही विशेषण होते हैं। जैसे- बड़ा, सुन्दर, योग्य आदि।

यौगिक विशेषण:- कुछ विशेषण संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया शब्दों में प्रत्यय लगाकर बनते हैं। जैसे - पुराण-पौराणिक, न्याय-न्यायिक, विज्ञान-वैज्ञानिक आदि।

विशेषण तुलना:- 

विशेषणो का तुलनात्मक अध्ययन:- दो वस्तुओं के गुणों और अवगुणों के मिलान को तुलनात्मक अध्ययन कहते हैं। तुलना की दृष्टि से विशेषण की तीन अवस्थाएँ होती हैं -

1.मूल अवस्था-किसी व्यक्ति या वस्तु की सामान्य विशेषता बतायी जाती हैं, जैसे- रोहन योग्य है, रोहिणी सुंदर है आदि।

2.उत्तर अवस्था- दो व्यक्तियों या वस्तुओं की तुलना करके एक की अधिकता या न्यूनता बताई जाती हैं, जैसे- सरिता रीता से सुंदर है, राजेश संजय से बड़ा हैं आदि।

3.उत्तम अवस्था- दो या दो से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं की तुलना करके किसी एक को सबसे अधिक या न्यून बताया जाता है, जैसे- हर्षित सबसे बड़ा है, हर्षिता सबसे सुंदर है आदि। 

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